लॉक डाउन – लेख 2
कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है| कोरोना महामारी से लड़ने में सबसे बड़ी समस्या गरीबों को खाना उपलब्ध कराना है| प्रधानमंत्री जी के संबोधन से गरीबों को निराशा ही हाथ लगी थी| लेकिन अगले ही दिन भारत की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने गरीबों के लिये 1.7 लाख करोड़ के रहत पैकेज कि घोषणा कर दी| साथ ही भारत सरकार ने PDS ( PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM) के अंतर्गत 3 महीने के लिये प्रति व्यक्ति 7 kg सब्सिडी वाले खाद्यान्न की घोषणा की है| जिसमे 5 किलो गेंहू व चावल फ्री दिया जायेगा| वित्त मंत्री जी ने घोषणा की है कि 8.7 करोड़ किसानो के खाते में 2000 रुपये दिए जायेंगे जबकि प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि* योजना से लाभान्वित किसानो की संख्या 12 करोड़ (source – wikipedia) है| बाकी 3.3 करोड़ किसानो को क्यों बाहर कर दिया गया? सवाल ये भी उठता है कि किसानो को 8.7 करोड़ किसानो को जो आर्थिक मदद दी जाएगी वह 1.7 लाख करोड़ के रहत पैकेज से दी जाएगी या प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि के द्वारा? यदि यह राशि 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज से दी जाएगी तो किसानो को अप्रैल माह में 4 हजार रुपये का लाभ मिलना चाहिए| जबकि वित्त मंत्री जी के द्वारा सिर्फ 2000 रुपये का लाभ देने कि घोषणा की गयी है| 22 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को 3 माह के लिये 50 लाख का बीमा देने की घोषणा की गयी है| यह राशि 1.7 लाख के राहत पैकेज से दी जाएगी या प्रधानमन्त्री जी के द्वारा घोषित किये गए 15000 करोड़ से? वित्त मंत्री जी के 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज को समझना थोडा मुश्किल है लेकिन उम्मीद करते हैं कि जो भी घोषणाएं भारत सरकार ने की है वह सारी मदद जनता तक जरूर पहुंचेगी|
लॉक डाउन की घोषणा के बाद बड़े शहरों में काम करने वाले यूपी, बिहार के लोगों ने पलायन शुरू कर दिया| वे पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने का प्रण करके अपने गाँव के लिये निकल पड़े| ऐसा करना एक प्रकार से लॉक डाउन के नियमों का उलंघन था| लेकिन परिवार की सुरक्षा इन्सान को किसी भी नियम का उलंघन करने से नहीं रोक पाती| दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर यूपी और बिहार जाने वालों की भीड़ लग जाती है जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने में नाकाम रही है। दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में जो मदद दिल्ली सरकार के द्वारा दी जा रही थी वह भी लॉक डाउन के बाद बंद कर दी गयी| ऐसी स्तिथि में लोगों का दिल्ली से पलायन करना जायज है| BJP की IT सेल के अनुसार केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश और बिहार वासियों की बिजली पानी काट दिया जिसके कारण यूपी और बिहार वासियों को दिल्ली छोड़नी पड़ी। ये बहुत ही हास्यास्पद है। चलिए मान लेते हैं कि केजरीवाल ने यूपी और बिहार वासियों की बिजली और पानी काट दिया जिसके कारण बस स्टैंड पर लोगों की भीड़ लग गयी। लेकिन कानपुर के झकरकटी बस स्टैंड़ पर और लखनऊ के केसरबाग बस स्टैंड पर भीड़ क्यों है? बस स्टैंड पर भीड़ देखकर पब्लिक ने सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध दर्ज किया तो यूपी के मुख्यमंत्री जी ने घोषणा कर दी कि वे दिल्ली से यूपी आने वाले लोगों के लिये और रास्ते मे पैदल आ रहे लोगों के लिए 1000 बसें शुरू करेंगे। क्या हजारों लोगों के लिए सिर्फ 1000 बसें पर्याप्त हैं? यदि 1000 बसों की खबर झूठी थी तो सरकार ने खंडन क्यों नहीं किया? जब दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर भीड़ थी तो केजरीवाल सरकार ने भीड़ कम करने के लिए क्या किया? क्या सरकार का काम सिर्फ विदेश के फंसे अमीर लोगों को ही वापस लाना है? अपने देश मे रह रहे लोगों को उनके घर तक पहुंचाने की जिम्मेंदारी सरकार क्यों नहीं लेती? इस महामारी से बचने के लिए सरकार ने एक आदेश दे दिया कि 21 दिनों तक जनता अपने घरों से बाहर ना निकले। लेकिन रोज़ कमाने खाने वाले 21 दिन तक कैसे जिंदा रह पाएंगे? महानगरों में काम करने वाले लोग जो शहर छोड़ कर अपने गांव के लिए पैदल निकल चुके हैं क्या वे अपने घर तक जिंदा पहुंच पाएंगे? केरल राज्य में भी ऐसी ही स्तिथि बनी हुई है। इस भीड़ की मांग है कि इन्हे वापस अपने प्रदेश अपने घर जाना है। पर क्यों? केरल सरकार ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 20000 करोड़ के पैकेज का एलान किया है जिससे लोगों की आम जरूरतों को पूरा किया जा सके। क्या जनता की आम जरूरते वहां की सरकार पूरा नहीं कर पा रही है? 20000 करोड़ का पैकेज जो सरकार ने पास किया था उस पैसे को कहां इस्तेमाल किया जा रहा है? रिलीफ फण्ड के नाम पर सरकारें जनता से पैसे मांग रही हैं लेकिन उस पैसे का हिसाब नहीं दिया जाएगा। कहने को तो केरल पढ़े लिखे लोगों का प्रदेश है लेकिन ये लोग अपनी मूर्खता का प्रमाण दे रहे हैं। अगर ये भीड़ कम नहीं होती है तो ये महामारी तेज़ी से फैलेगी और ये केरल सरकार की नाकामी होगी।
अगर केंद्र व् राज्य सरकारें जल्द से जल्द लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराती तो देश मे अराजकता वाली स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जिसके कारण देश आर्थिक व् सामाजिक रूप से बर्बाद हो सकता है|
* प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की एक पहल है जिसमें छोटे और सीमान्त किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम भूमि है, उन्हें न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति वर्ष ६ हजार रूपए तक मिलेगा।