तबलीगी जमात क्या है?
तबलीगी जमात क्या है और क्यों तबलीगी जमात की स्थापना की गयी? तबलीगी जमात इस्लामी धर्म प्रचार आन्दोलन है| तबलीग का मतलब होता है, अल्लाह व् कुरान और हदीस की बातें दूसरों तक पहुँचाना| जमात का मतलब होता है समूह| अर्थात अल्लाह कुरान और हदीस की बातों को दूसरों तक पहुँचाने वाला समूह| इसकी स्थापना मौलाना मुहम्मद इलियास ने सन 1927 में की थी| इसका मरकज ( केंद्र) दिल्ली में है| इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों को इस्लाम की मूल पद्दतियों की तरफ मोड़ना बताया जाता है| तबलीगी जमात की स्थापना के दो मुख्य कारण थे| पहला मुसलमानों को धर्म परिवर्तन करने से रोकना और दूसरा जो मुसलमानों को धार्मिक पाखंड और कट्टरता से जोड़े रखना| जब भारत में मुसलमानों का आगमन हुआ तो उन्होंने अपने धर्म को फ़ैलाने के लिये उसका प्रचार प्रसार करना शुरू किया | मुसलमानों ने हिंदुस्तान के राजाओं को हरा कर उनका राज्य हड़प लिया और तलवार की नौक पर धर्म परिवर्तन कराना शुरू किया| धर्म परिवर्तन सिर्फ तलवार की नौक पर ही नहीं हुआ बल्कि हिन्दू धर्म में शुद्र और अछूत कहे जाने वाली जाति के लोगों ने भी सम्मान पाने के लिये धर्म परिवर्तन किया| कुछ लोगों ने राजनैतिक फायदा पाने के लिये भी धर्म परिवर्तन किया| हिन्दू धर्म छोड़ चुके लोगों को वापस हिन्दू धर्म में लाने के लिये बहुत से हिन्दू धर्म सुधारकों ने घर वापसी का कार्यक्रम चलाया| घर वापसी कार्यक्रम के चलते कई लोगों ने ( जो हिन्दू से मुस्लमान बन चुके थे) धर्म परिवर्तन किया| मुसलमानों के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी कि मुसलमानों को कैसे भी इस्लाम छोड़ने से रोका जाए| मुस्लिमों को इस्लाम छोड़ने से रोकने के लिये ही तबलीगी जमात का उदय हुआ| तबलीगी जमात की स्थापना करते वक़्त कहा गया था कि इस संस्था का मुख्य उद्देश्य लोगों (मुस्लिम) को अल्लाह की तरफ मोड़ना है, लोगों को इस्लाम की शिक्षा देना है| सवाल ये उठता है कि जो व्यक्ति पहले से ही मुस्लमान है, वो नमाज़ पढता है, रोज़े रखता है तो उसे किस अल्लाह की तरफ मोड़ने की बात की जा रही है? असल में ये तबलीगी जमात उन मुसलमानों के लिये बनायीं गयी है जो धार्मिक पाखंड से दूर हो चुके हैं, जो धर्म के नाम पर फ़ैल रहे अतिवाद को अलविदा कह चुके हैं, जो मस्जिद मजारों से दूरी बना चुके हैं या जो मुस्लिम इस्लाम की कट्टरता के कारण धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं| असल में तबलीगी जमात का उद्देश्य लोगों को अल्लाह और इस्लाम के नाम पर पाखंड और कट्टरता की ओर मोड़ना है| यही पाखंड और कट्टरता मनुष्यों को जाहिल और हिंसक बनाती है|